Safar Zamin-E-Atash ke Taweel Hote hai
18/08/2023
सफर ज़मीने अतश के तवील होते हैँ
कि आसमान...यहाँ संगे मील होते हैँ
फलक उसी के अलम पर....दलील होते हैँ
कि जिसके खींचे हुए ख़त फसील होते हैँ
हमारे अशकों का दरियाओं से तक़ाबुल क्या
येः कतरे वह हैँ जो....बह्र ए तवील होते हैँ
जहाँ प जाके जरी की नज़र ठहरती है
बस उसके आगे परे जिबराइल होते हैँ
येः शहरे हुर है यहाँ ताशनगी की राहों में
दरे..हुसैन..के..कूज़े ...सबील... होते.. हैँ
जो अक्स आबिद बीमार का नहीं रखते
उन आइनों के नज़ारे ..अलील... होते..हैँ
वह अलक़मा से अतश का सवाल क्या करता
वह..जानता... था...समंदर. बख़ील.. होते..हैँ
अमान किसको मुसीबत में कौन देता है
उसी.. के दस्ते...बुरीदा...कफील होते हैँ
येः आसमान के बाज़ू के अक्स हैँ उर्फी
समंदरों...के..बदन पर जो नील होते हैँ