18/08/2023
न सूरत है न रंगत है न तो जलवा..है पानी में
मुहब्बत तशनगी से हो तो क्या रक्खा है पानी में
जब उसने एक चूल्लू प्यास का मारा है पानी में
फिर उसके बाद पानी का नशा उतरा है पानी में
वह अक्स ए नैज़ा ए गाज़ी है जो उभरा है पानी में
सितम समझा..कि मूसा नें असा फ़ेंका है पानी में
हमारी आंख के आंसू में रहता है ग़म ए क़ासिम
नमक की झील है. लेकिन मज़ा मीठा है पानी में
झुका था इसलिए गाज़ी कि दरिया को उठा लाये
वह ये समझे कि सूरज डूबने वाला है पानी मे
ये किस चूल्लू का सावन था जो इतना टूट के बरसा
कि दरिया आज सर से पावं तक डूबा है पानी में
वह अक्स ए हज़रते अब्बास था बदला नहीं वरना
कोई सूरज हो अंगारा नज़र आता है पानी में
चमक.. हुर के मुकद्दर की न उतरी है न उतरेगी
ये वो सोना है जिसको शाह ने परखा है पानी में
जरी की प्यास को सातों...समंदर आज़माते हैँ
मगर ये वह नमक है जो नहीं घुलता है पानी में
पसीना शेर के माथे से दरिया पर टपकता है
सितारा आसमां से टूट के गिरता है पानी में
किसे मालूम है अब्बास के चूलु की गहराई
यहाँ आकर समंदर डूबने लगता हैँ पानी में
तभी पाये अलम बरदार पर सर रख दिया उसने
ये दरिया जानता था उसको भी रहना है पानी में
अली का चाँद मशकीज़ा बकफ दरिया में उतरा है
तलातूम आज के दिन देखने वाला है पानी में
निगाह ए हज़रते अब्बास फिर आगे नहीं बढ़ती
कोई चेहरा है जो दीवार बन जाता है पानी में
अजब अंदाज़ का सहरा है दश्ते करबला उर्फी
हक़ीक़त है यहाँ की प्यास में धोका है पानी में