18/09/2021
ग़मे शब्बीर मे जब अश्क आँखो से बहा देंगे।
मोहम्मद मुस्तफ़ा,आकर हमे,इसकी ज़जा देंगे।।
चिराग़े इश्के आले मुस्तफ़ा जिस दम जला देंगे।
क़यामत तक सफ़े,हस्ती से बातिल,को मिटा देंगे।
अदब से बैठ जाना फ़रशे ग़म पा ऐ अज़ादारो।
अलमदारे वफ़ा,आकर अभी,दरसे वफ़ा देंगे।।
चलो अब्बास का परचम उठाते हैं फिज़ाओं में।
हवा के दोश पा,चलने का ग़ाज़ी,हौसला देंगे।।
अलम अब्बास का ओर ताज़िया शब्बीर का लेकर।
वफ़ादारो की हर,एक शहर में,बस्ती बसा देंगे।।
इजाज़त मिल गई मुझको अगर चे जंग करने की।
तो इस करबोबला,मे ख़ून का,दरिया बहा देंगे।।
कहा साहिल ने मौजो से सुनो मशकीज़ा भर देना।
वगरना ग़ैज़ मे,अब्बास है,दरिया जला देंगे।।
अभी करबोबला मे देखना थर्राएगे ज़ालिम।
शहे वाला के हाथों,पा जब असगर, मुस्कुरा देंगे।।
मलक़ पूछेगे जब मुझसे बता मौला है तेरा कौन।
अली के नाम का,हम कब्र में,नारा लगा देंगे।।
#ताज़मीम
भटकना छोड़ दो यूँ दर-बदर तुम ऐ मुसलमानों,
ज़रा शब्बीर तक,आओं ये तुम को,हुर बना देंगे।।
अली वाले हैं हम हम से ज़रा बचकर रहो वाइज़।
अली के नाम पर,औलाद क्या,सबकुछ लुटा देंगे।।
वो बच्चा बावफ़ा होगा कोई भी शक नहीं इसमें।
अगर अब्बास के,परचम कि हम,उसको हवा देंगे।।
हर एक बीमार को कह दो तबीबो से यहाँ भेजें।
शिफ़ा मिल जाएगी,उसको फ़क़त, ख़ाक़े शिफ़ा देंगे।।
अली वाले कभी डरते नहीं हक़ बात कहने से।
अली के इश्क में,मीसम जबां,अपनी कटा देंगे।।
करो शब्बीर का मातम अज़ादारो न घबराओ।
नजफ़ से हैदर-ए,-कर्रार तुमको,हौसला देंगे।।
#मक़ता
#रज़ा उन पर करो ला,नत अज़ा के जो मुख़ाहिफ़ है,
ये वरना लखनऊ,को एक दिन,कूफ़ा बना देंगे।।