18/09/2021
इसी पा फख़्र हमे बार बार होता हैं।
हुसैनियो में हमारा शुमार होता हैं।।
जिसे भी मजलिसो मातम से प्यार होता हैं।
बहुत बड़ा वो इबादत गुज़ार होता हैं।।
नबी नमाज़ में देते हैं तूल सजदे को।
हुसैन पुश्त पा जिस दम सवार होता हैं।।
कुछ ऐसा चुल्लू ने हमला किया है फोजों पर।
अतश के नेज़े से दरिया शिकार होता हैं।
बिछाया फर्शे अज़ा और ख़रीद ली जन्नत।
हुसैनियो का यही कारोबार होता हैं।।
सुकूने क़ल्ब मिला उसको शह के क़दमों में।
वो हुर जो शब में बहुत बेक़रार होता हैं।।
यज़ीद तेरे मुक़ाबिल अली की बेटी हैं।
तेरा गुरूर अभी तार तार होता हैं।।
हुसैन इस लिए हिन्दोस्तान आते हैं।
वो जानते हैं यहाँ इन्तिज़ार होता हैं।।
लहद भी फूलो का बिस्तर लगें गी वो जिनके।
कफन में ख़ाके शिफा का हिसार होता हैं।।
दिखाई देता हैं एक नूर उनकी आँखों में।
ग़मे हुसैन में जो अश्क बार होता हैं।।
उसी को कहते हैं आक़ा हुसैन इब्ने अली।
नबी के दीन का जो ताज दार होता हैं।।
जहाँ के ग़म भी यहाँ ढोकरो में रहते है।
ग़मे हुसैन का ऐसा खुमार होता हैं।।
बिछा हो फर्शे अज़ा और कोई नही बैठे।
ये सय्यदा को बहुत ना गवार होता हैं।।
#मक़ता
#रिज़ा सुनाई दिया जब कही पा नामे हुसैन।
फिर आँसूओ पा कहाँ इख़्तियार होता हैं।।