Kehti thi ro ro ke Zainab(sa) ai bahattar Alvida
09/09/2021
कहती थी रो रो के ज़ैनब ऐ बहत्तर अलविदा।
ऐ मेरे अब्बासओ अकबर ऐ बहत्तर अलविदा।।
छ: महीने के भी किया जाते है मैदा में कही।
रो के मादर ने कहाँ हैं मेरे दिलबर अलविदा।।
चंद लम्हो की दुल्हन भी रांड हो रहे गई।
कौन समझाये उसे अब इब्ने शब्बर अलविदा।।
तीर असग़र के लगा अब्बास के शाने कटे।
चल रहे हैं सिनये ज़ख़्मी पा नश्तर अलविदा।।
बीबीयों की चादरे छीनी गयी ख़ैमे जले।
क़ैद हो कर जा रहे है हम खुले सर अलविदा।।
हर तरफ लाशें पड़े हैं दिल संभालू किस तरह।
कर्बला के दश्त के अये सुर्खो मंज़र अलविदा।।
फ़ातिमा की गोद के पाले हुसैन इब्ने अली।
कर्बला की ख़ाक अब तेरा बिस्तर अलविदा।
जब तलक दौराने खु हैं हम उठाएंगे अलम।
ज़िन्दगी अपनी ग़मे शह पर निछावर अलविदा।।
#मक़ता
आख़री शब हैं #रिज़ा दिल खोल कर मातम करों।
ताज़िये रुख़सत हुए ख़ामोश मिम्बर अलविदा।।