Mai Ho Sani-E-Zehra Karbala Se Aai Hoo.n
09/09/2021
मैं हूं सानिये ज़हरा कर्बला से आई हूं।
घर लुटा के सरवर का कर्बला से आई हूं।।
हाले दिल मेरा पूछो अये मेरे वतन वालो ।
आओ दो मुझे पुरसा करबला से आई हूं।।
जिसने इतने ग़म देखे ज़िन्दा वो रहे कैसे।
मत कहो मुझे ज़िन्दा कर्बला कर्बला से आई हूं।।
जिस तरफ भी जाती हूं एक कमी सी पाती हूँ।
दिल कही नही लगता कर्बला से आई हूँ।।
कर्बला से कूफ़े तक शाम से मदीने तक।
एक हर्श था बरपा कर्बला से आई हूं।।
मर गये अली अकबर क़त्ल हो गये सरवर।
अब नही कोई अपना कर्बला से आई हूं।।
ये मेरी वसीयत हैं बस इसी में राहत हैं।
मजलिसे करो बरपा कर्बला से आई हूं।।
अये रिज़ा मदीने का एक अजीब मंज़र था।।
नोहा सुन के ज़ैनब का कर्बला से आई हूं।।